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Friday, July 23, 2021

इंटरव्यू: 'हंगामा-2' OTT प्लेटफॉर्म पर हुई रिलीज, मिजान जाफरी बोले-फिल्म के थिएटर में न आने से थोड़ा दुखी हूं - Dainik Bhaskar

मुंबई4 घंटे पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय

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शिल्पा शेट्टी, मिजान जाफरी, परेश रावल और प्रणीता सुभाष स्टारर 'हंगामा-2' शुक्रवार (23 जुलाई) को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई है। मिजान जाफरी ने हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत में फिल्म से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं। साथ ही उन्होंने एक्टिंग लाइन में आने और अपने दादा जगदीप आदि के बारे में खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं मिजान जाफरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश -

बिजनेस की पढ़ाई कर रहे थे और रुचि स्पोर्ट्स में थी, फिर एक्टिंग लाइन में कैसे आना हुआ?
हां, अमेरिका में बिजनेस की पढ़ाई कर रहा था, जबकि दिलचस्पी स्पोर्ट्स और म्यूजिक में थी। गर्मी की छुट्टी में अमेरिका से मुंबई आया था, तब एक दिन क्लासमेट शर्मिन सेगल का फोन आया। वे कहने लगीं- क्या आकर रणवीर सिंह की कॉस्ट्यूम ट्राई कर सकते हो! मैं बाजीराव मस्तानी पिक्चर असिस्ट कर रही हूं। वहां गया, तब संजय लीला भंसाली से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि आपको एक्टर बनना चाहिए। कुछ दिनों बाद फिर शर्मिन पर कहने लगीं कि मामा संजय लीला भंसाली कह रहे हैं कि अगर चाहो, तब बाजीराव को असिस्ट करने आ सकते हो। मैंने कहा- ठीक है। सेट पर गया तो उसकी भव्यता देखकर चकरा गया। उसी समय से फिल्म और एक्टिंग की तरफ रुचि बढ़ने लगी। किस्मत का खेल कहिए कि सेट पर मौजूद डीओपी सुदीप दा ने कहा कि कैमरे के सामने खड़े होकर आदित्य पंचोली का डायलॉग बोल दूं। मैं डायलॉग बोल ही रहा था कि संजय सर लंच ब्रेक से आकर मॉनिटर पर मेरा चेहरा देख लिया। दो सप्ताह बाद शर्मिन के कहने पर भंसाली सर के ऑफिस गया, तब पता चला कि मुझे लांच करना चाहते हैं। मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। इस तरह एक्टिंग लाइन में आया और उस तरफ बढ़ते जा रहा हूं।

'हंगामा-2' के को-स्टार के साथ कोई मस्ती भरा किस्सा बताइए?
शिल्पा के साथ ढेर सारे सीन और गाने किए हैं। वे जिस तरह हंसती हैं, फुल ऑफ लाइफ हैं। सेट पर उनकी एक एनर्जी और एक औरा देखने को मिला। वे इतनी बड़ी सुपर स्टार हैं, फिर भी उनमें कोई एटीट्यूड नहीं है। सेट पर हमने खूब मस्ती की। एक बार हम ऊटी में शूट कर रहे थे। शॉट को सेटअप करने में टाइम लगता था, तब शॉट देकर हम बाहर आ जाते थे, तब शिल्पा जी कहती थीं कि चलो टिक टॉक बनाते हैं। एक बार मैं, राजपाल और शिल्पा जी टिक टॉक बनाने बैठ गए। उधर शॉट तैयार हो गया और हमें पता नहीं चला। असिस्टेंट डायरेक्टर यह सोचकर हमें बोल नहीं रहा था कि डिस्टर्ब हो जाएंगे। लेकिन जब काफी देर लग गया, तब प्रियन सर खुद चलकर बाहर आए। उन्होंने कहा कि गाइज शॉर्ट इज रेडी, चलो। हम लोग फटाफट बंद करके शॉट देने के लिए भागे। इस तरह की मस्ती, गपशप सेट पर होती रहती थी। अभी प्रोमोशन के टाइम जब मिलते हैं, तब भी मस्ती चलती रहती है।

इस तरह परेश रावल के साथ का कोई किस्सा बताइए?
पहले दिन का सेट पर का अनुभव बताता हूं। डायरेक्टर के बताए अनुसार कोई तैयारी करके नहीं गया था। मुझे सीधे कैमरे के सामने लाकर खड़ा कर दिया। मेरा पहला शॉर्ट आशुतोष राणा, मनोज जोशी और परेश सर के साथ था। तीन लीजेंड्री एक्टर को सामने देखकर लगा कि कैसे परफॉर्म कर पाऊंगा, इस सोच में पड़ गया। खैर, मैंने पहला और दूसरा टेक दिया। दोनों टेक में प्रियन सर को लगा कि लड़का अभी डरा हुआ है। मैं बड़े टेंशन में एक कोने में खड़ा था। परेश सर मेरे पास आकर कहने लगे-अरे! टेंशन मत ले। तू बिंदास कर, जैसा कर रहा है। तू बहुत अच्छा काम कर रहा है बेटा। उनका यह बोलना ही मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। फिर तो इस तरह खुल गया कि आराम से वह सीन निभा पाया।

क्या आप दिग्गज कलाकार दादा जगदीप और पिता जावेद जाफरी की पॉपुलैरिटी का प्रेशर लेते हैं?
मेरी कोशिश होती है कि प्रेशर न लूं, क्योंकि जितना प्रेशर लूंगा उतना टेंशन बढ़ जाएगा। कहीं न कहीं उससे मेरी परफॉर्मेंस दब जाएगी। दादाजी और पिताजी की स्टाइल और काम करने का तरीका अलग-अलग रहा है। मेरे लिए यह ज्यादा इंपोर्टेंट है कि अगर मिजान को दर्शक देखें, तब मेरी एक अलग स्टाइल होनी चाहिए। बार-बार यही सोचता रहता हूं कि किस तरह से अपने आपको अलग बना सकता हूं। काम अच्छा होना चाहिए, पर काम अपने अंदाज और अपने तरीके से होना चाहिए। जगदीप का पोता और जावेद का बेटा हूं, तब लोग उस लेवल की परफॉर्मेंस की उम्मीद हंड्रेड पर्सेंट रखेंगे। मेरी कोशिश भी होती है कि हंड्रेड पर्सेंट परफॉर्मेंस दूं। लेकिन अपने आपको उन चीजों से इफेक्ट नहीं होने देता हूं, क्योंकि अपने किरदार और परफॉर्मेंस के बारे में सोचता हूं और डायरेक्टर जो सकता है, उसकी सुनता हूं।

एक्टिंग को लेकर दादाजी और पिताजी से क्या टिप्स मिली हैं?
दादाजी से काम को लेकर ज्यादा टिप्स मिलते नहीं थे। हां, अपने जमाने की कहानियां बहुत सुनाते थे। एक्चुअली, इन्हीं काहनियों में टिप्स और जिंदगी की सीख होती थी। काम तो चलता रहेगा, पर इंसान का नेचर ज्यादा इंपोर्टेंट रखता है। इन्हीं चीजों में दादाजी और पिताजी यकीन रखते हैं। उन्होंने हमेशा इंसानियत के बारे में ही सीख दी है।

इसी महीने में दादा जगदीप की पहली बरसी थी, किस रूप में याद रहेंगे?
जब भी दादाजी के बारे में सोचता हूं, तब उन्हें लीविंग हॉल में सोफे पर बैठकर टीवी देखते हुए पाता हूं। उनसे मिलने जाता था, तब वही सोफे पर बैठता था। उनसे वहीं मुलाकात होती, तब घंटों कहानियां सुनाते थे। मेरे दिमाग में उनकी यही तस्वीरें हैं। उनकी कहानियां इंडस्ट्री के लीजेंड्री के. आसिफ साहब, महबूब खान, गुरुदत्त साहब, बिमल दा के बारे में होती थी। उन्होंने एक कहानी सुनाई थी कि पृथ्वीराज सर जब मुगल-ए-आजम की शूटिंग कर रहे थे, तब पहले दिन बिना शूट किए के. आसिफ ने पैकअप बोल दिया। पृथ्वीराज फिल्म में राजा का किरदार प्ले कर रहे थे। पूरा सेट लगा था। वे जब सेट पर आए, तब के. आसिफ ने कहा कि चलकर दिखाइए। पृथ्वीराज सर चलने लगे, उन्होंने बोला कि नहीं, यह बिल्कुल नहीं चलेगा। ऐसे शूटिंग नहीं कर सकते। उन्होंने पैकअप बोल दिया। पूरा सेट लगा था और शूटिंग कैंसिल करवा दी। पृथ्वीराज से कहा कि तुम्हें ऐसा लगना चाहिए कि कोई राजा चलकर आ रहा हो। तुम्हारी चाल में वह बात होनी चाहिए। इसके बाद तो वे रोजाना बीच पर जाकर चलना शुरू किया, जिससे उनके चाल में एक ठहराव आ गया। दोबारा सेट पर शूटिंग करने आए, तब के आसिफ ने उन्हें फिर चलने के लिए कहा। उन्होंने चलकर दिखाया, तब खुश होकर कहने लगे कि मेरा राजा तैयार है। कैमरा लगाओ, एक्टिंग शुरू करते हैं।

'हंगामा-2' थिएटर रिलीज फिल्म थी, अब ओटीटी पर आ रही है, इस पर आपका क्या कहना है?
हम तो चाहते ही हैं कि फिल्म थिएटर में रिलीज हो। मैं थोड़ा दुखी भी हूं कि इसे थिएटर में आना चाहिए था। लेकिन अभी क्या करें, यह कोविड-19 की बीमारी पूरी दुनिया में आई हुई है। आइ थिंक, इससे हम सब कहीं न कहीं इफेक्टेड हैं। इस फिल्म की ओरिजनल रिलीज डेट को लेकर एक साल हो चुका है। अब हम और नहीं रुक सकते, इसलिए हम सबने सोचा कि चलो, आज लोगों के चेहरे पर एक सैड जैसा माहौल है। ऐसे में इस फिल्म को लाकर लोगों के चेहरे पर एक मुस्कुराहट लाएं। अपने घर में बैठकर लोग जब यह फिल्म देखेंगे, तब उन्हें एक खुशी महसूस होगी। हमारा यह मकसद पूरा हो जाएगा।

आपके लंबे बालों का राज क्या है? क्या यह किसी कैरेक्टर की तैयारी के लिए है?
लंबे बालों का राज सिर्फ इतना ही है कि मम्मी इनका खयाल रखती हैं। हफ्ते में कम से कम दो बार तेल लगाती हैं। इसका क्रेडिट मां को जाता है, क्योंकि मां ने बालों का खयाल रखा है। अभी तक तो यह किसी कैरेक्टर की तैयारी के लिए नहीं है।

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