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- Unheard Story Of Tragedy Queen: Nargis Used To Hear The Sound Of Assault From Meena Kumari's Room, Said On Her Death, 'Happy Death, Don't Come To This World Again'
एक घंटा पहले
साहिब बीबी और गुलाम, पाकीजा, मेरे अपने, बैजू बावरा, दिल अपना प्रीत पराई जैसी कई हिट फिल्मों की नायिका मीना कुमारी का निधन 31 मार्च 1972 को हुआ था। फिल्मों में चकाचौंध से भरा जीवन जीते हुए नजर आने वालीं मीना कुमारी की जिंदगी के आखिरी दिन एक डरावने सपने की तरह थे, जहां न प्यार था, न कोई रिश्तेदार।
मीना कुमारी ने डायरेक्टर-प्रोड्यूसर कमाल अमरोही से शादी की थी। उनकी शादीशुदा जिंदगी बहुत खराब रही। कमाल ने उन पर कई पाबंदियां लगा रखी थीं। उनके साथ मारपीट भी होती थी। एक्ट्रेस नरगिस ने खुद मीना के कमरे से आती उनके साथ होने वाली मारपीट की आवाजें सुनीं। मीना कुमारी की दुखभरी जिंदगी से नरगिस इतनी परेशान थीं कि उनकी मौत पर एक लेख में लिखा था, मीना, तुम्हें मौत मुबारक हो। अब दोबारा इस दुनिया में कदम मत रखना।
मीना कुमारी इतनी दुखी रहती थीं कि उन्हें फिल्म की शूटिंग पर रोने के लिए कभी ग्लिसरीन की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन, उनके चाहने वाले ऐसे थे, जो उनके बालों की ताबीज बनवाकर पहना करते थे। उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर आइए जानते हैं कैसे एक गरीब परिवार की महजबीं बानो बन गईं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की ट्रेजडी क्वीन-
पैदा हुईं तो पिता के पास डॉक्टर की फीस तक नहीं थीं
अली बक्श एक पारसी थिएटर आर्टिस्ट थे, जिन्होंने क्रिश्चियन प्रभावती देवी से शादी की, जो शादी के बाद इकबाल बेगम बन गईं। एक बेटी होने के बाद अली बक्श बेटा चाहते थे, लेकिन घर में जन्म हुआ दूसरी बेटी का। वो तारीख थी 1 अगस्त 1933, गरीबी में गुजारा कर रहे परिवार के पास डॉक्टर को देने के लिए पैसे नहीं थे। तंगहाली में अली बक्श ने उस बच्ची को अनाथ आश्रम में छोड़ने का फैसला किया। कुछ घंटों के बाद उन्होंने फैसला बदला और बच्ची को घर ले आए। बेटी को नाम दिया गया महजबीं, जिसे घर में मुन्ना कहा जाने लगा। किसे पता था कि ये बच्ची एक दिन मीना कुमारी बनकर इंडस्ट्री पर राज करेगी।
4 साल की उम्र में जुड़ा फिल्म स्टूडियो से रिश्ता
अली बक्श के लिए घर चला पाना मुश्किल था, जिससे वो 4 साल की महजबीं को भी अपने साथ फिल्म स्टूडियो ले जाने लगे। ये सिलसिला फायदेमंद साबित हुआ और महजबीं के लुक से खुश होकर डायरेक्टर विजय भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म लेदरफेस में कास्ट कर लिया। पहले दिन ही उन्हें 25 रुपए फीस मिली, जो उस समय काफी बड़ी रकम होती थी। ये फिल्म 1939 में रिलीज हुई, जिसके बाद घर की आर्थिक जिम्मेदारी 6 साल की महजबीं पर आ गई।
महजबीं ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अधूरी कहानी (1939), पूजा (1940), एक ही भूल (1940) में काम किया, जहां उन्हें नाम मिला ‘बेबी मीना’। ये नाम उन्हें डायरेक्टर विजय भट्ट ने दिया। आगे वो नई रोशनी (1941), कसौटी (1941), विजय (1942), प्रतिज्ञा (1943), लाल हवेली (1944) में नजर आईं।
13 साल की उम्र में नायिका बनीं, गाने भी गाए
रमणिक प्रोडक्शन ने 13 साल की मीना को फिल्म बच्चों का खेल में कास्ट किया। इस फिल्म की रिलीज के 18 महीने बाद मीना ने अपनी मां इकबाल बेगम को खो दिया। उस उम्र में मां को खोना एक बड़ा सदमे जैसा था, लेकिन मीना नहीं रुकीं। उन्होंने दुनिया एक सराय, पिया घर आजा, बिछड़े बलम में काम किया। इन फिल्मों में अभिनय के साथ मीना ने गानों को अपनी आवाज भी दी थी।
मीना फिल्में तो कर रही थीं, लेकिन इनसे उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही थी। लंबे इंतजार के बाद उन्हें उसी विजय भट्ट ने बैजू बावरा में कास्ट किया, जिनके साथ मीना ने 6 साल की उम्र में एक्टिंग करियर शुरू किया था। ये फिल्म हिट रही और मीना को पहचान मिल गई। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान हादसे में मीना डूबते हुए बालबाल बची थीं।
1952 में की कमाल अमरोही से शादी
कमाल अमरोही और मीना कुमारी की लव स्टोरी किसी फेयरीटेल से कम नहीं थी। कमाल ने पहली बार मीना को तब देखा था, जब वो 5 साल की थीं। कमाल उन्हें अपनी फिल्म के लिए देखने गए थे। तब बात नहीं बनी। 14 साल बाद अशोक कुमार ने मीना का परिचय दोबारा कमाल से करवाया। कमाल ने मीना को फिल्म अनारकली ऑफर की। कुछ समय बाद मीना का एक्सीडेंट हुआ, वो अस्पताल में भर्ती रहीं। कमाल रोजाना उनसे मिलने जाया करते थे और जब पाबंदिया होती थीं, तो दोनों एक-दूसरे को खत लिखते थे। करीब 4 महीनों के इस सिलसिले में दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ी और 14 फरवरी 1952 को दोनों ने गुपचुप तरीके से निकाह कर लिया। इस समय मीना महज 18 और कमाल 34 साल के थे।
शादी के बाद पिता ने किया घर से बेदखल
मीना सीक्रेट शादी के बावजूद अपने पिता अली बक्श के साथ रहती थीं, लेकिन, जैसे ही इस शादी की खबर उनके घर पहुंची तो बवाल हो गया। पिता ने उन पर तलाक लेने का दबाव बनाया। पाबंदियां बढ़ गईं। कमाल ने इसी समय मीना को अपनी फिल्म दायरा ऑफर की, लेकिन पिता ने इनकार कर दिया। पिता ने कहा कि अगर मीना दायरा फिल्म में काम करेंगी, तो उसके लिए घर के दरवाजे बंद हो जाएंगे।
इसी समय मीना महबूब खान की फिल्म अमर की शूटिंग कर रही थीं। 4 दिन तक फिल्म की शूटिंग करने के बाद उन्होंने महबूब खान से कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया और सीधे पहुंच गईं बॉम्बे टॉकीज, जहां दायरा की शूटिंग चल रही थी। मीना ने दायरा की शूटिंग शुरू की। ये खबर उनके पिता तक पहुंच गई। आधी रात को जब मीना शूटिंग पूरी कर घर पहुंचीं, तो पिता ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। मीना ने अपनी गाड़ी घुमाई और पति कमाल अमरोही के घर पहुंच गईं।
शादी के बाद लग गईं पाबंदियां
कमाल अमरोही ने शादी के बाद मीना को काम करने की इजाजत तो दी, लेकिन कई पाबंदियों के साथ। मीना के मेकअप रूम में मेकअप आर्टिस्ट के अलावा किसी को जाने की इजाजत नहीं थी। शाम 6ः30 बजे खुद की कार से वापस आना था। मीना मान तो गईं, लेकिन एक नायिका के लिए ये शर्तें फॉलो करना मुश्किल था। कमाल ने मीना पर नजर रखवानी शुरू कर दी थी। एक दिन तो समय पर घर ना पहुंचने पर मीना ने डर से रोते हुए साहिब, बीबी और गुलाम की शूटिंग की थी।
अनबन से भरी रही शादी
साहिब, बीबी और गुलाम को बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में जगह मिली, लेकिन कमाल ने मीना के साथ जाने से इनकार कर दिया। मीना ने भी कदम पीछे खींच लिए। इरोज सिनेमा में सोहराब मोदी ने महाराष्ट्र सरकार के एक कार्यक्रम में मीना का परिचय करवाते हुए कहा, ये जानीमानी एक्ट्रेस मीना कुमारी हैं और ये उनके पति कमाल अमरोही। कमाल ने गुस्सा करते हुए तुरंत कहा, नहीं, मैं कमाल अमरोही हूं और ये मेरी पत्नी मीना है। गुस्से में कमाल ने तुरंत ऑडिटोरियम छोड़ दिया और मीना ने पूरा प्रीमियर अकेले देखा।
देखते ही देखते शादी की अनबन मारपीट तक पहुंच गईं, जिसकी चश्मदीद नरगिस भी रहीं। मैं चुप रहूंगी फिल्म की शूटिंग के दौरान नरगिस ने मीना के साथ रूम शेयर किया था। मीना की मौत के बाद उर्दू मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में नरगिस ने बताया कि उन्होंने मारपीट की आवाजें सुनी थीं। जब अगले दिन मीना से मिलीं तो उनकी आंखें सूजी हुई थीं।
जब कमाल के असिस्टेंट ने मारा मीना को थप्पड़
तमाम पाबंदियों के बावजूद मीना ने एक बार गीतकार गुलजार को अपने मेकअप रूम में आने दिया। ये देखते ही कमाल के असिस्टेंट बकर अली ने मीना को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। मीना ने कमाल को शिकायत करते हुए सेट पर बुलाया, लेकिन उन्होंने तवज्जो ही नहीं दी। मीना टूट चुकी थीं और शादी बचाने की उनकी उम्मीद भी। मीना सीधे अपनी बहन के पास गईं और फिर कभी वापस नहीं आईं। कमाल ने मीना की मौत के बाद कहा कि वो अच्छी एक्ट्रेस थीं, लेकिन पत्नी नहीं, क्योंकि वो खुद को घर में भी एक्ट्रेस समझती थीं।
नींद से दूरी और नशे से नजदीकियां
पति से अलग होते ही मीना अकेली पड़ गईं। उन्हें क्रोनिक इन्सोम्निया हो गया। लंबे समय से नींद की दवाइयों का सहारा ले रहीं मीना को शराब की लत पड़ गई। नींद न आने पर डॉ सईद तिमुर्जना ने उन्हें ब्रांडी लेने की सलाह दी थी लेकिन तलाक के बाद मीना नशे में डूबती चली गईं। मीना ने धीरे-धीरे नशे से नजदीकियां और दुनिया से दूरी बना ली। नशे की लत मीना को पहले लीवर सिरोसिस और फिर मौत के करीब ले गई।
मौत के खौफ के बीच शूट की पाकीजा
विवादों के बावजूद मीना कुमारी ने कमाल की फिल्म पाकीजा में काम करना जारी रखा। इसे बनने में 16 साल लगे। शूटिंग के बीच ही 1968 में मीना को पता था कि वो ज्यादा दिन नहीं जी सकेंगी। लंदन से इलाज करवाकर लौटते ही मीना ने पांचवे दिन दोबारा पाकीजा की फाइनल शूटिंग पूरी की।
आखिरी फिल्म देखते हुए भावुक हुईं मीना
पाकीजा का प्रीमियर 3 फरवरी 1972 में मराठा मंदिर थिएटर में हुआ। मीना कुमारी, पति कमाल अमरोही के साथ बैठीं। फिल्म देखने के बाद मीना के शब्द थे, मैं मान गई हूं कि मेरे पति एक मंझे हुए फिल्ममेकर हैं। अगले दिन पाकीजा रिलीज हुई। ये फिल्म ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर थी। रिलीज के तीन हफ्ते बाद 28 मार्च को मीना को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां वो कोमा में चली गईं। ठीक 3 दिन बाद 31 मार्च को मीना कुमारी का निधन हो गया। पति कि ख्वाहिश पर मीना को रहमतबाद के कब्रिस्तान में दफनाया गया, जिसके ठीक बाजू में 11 फरवरी 1993 को उनके पति कमाल अमरोही को मौत के बाद दफनाया गया।
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