स्टोरी हाइलाइट्स
- ऋषि कपूर को गुजरे हुए दो साल
- कैंसर बनी थी मौत की वजह
- जानिए अनसुने किस्से-कहानियां
बॉलीवुड के वेतरन एक्टर ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) भले ही अब हमारे बीच न रहे हों, लेकिन इनसे जुड़े किस्से और कहानियां आज भी ताजा की जाती हैं. ऋषि कपूर ने अपना एक्टिंग डेब्यू साल 1973 में फिल्म 'बॉबी' से किया था. इस फिल्म में ऋषि कपूर के साथ डिंपल कपाड़िया लीड रोल में नजर आई थीं. अपनी डेब्यू फिल्म से ही ऋषि कपूर इंडस्ट्री के स्टार बन गए थे. ऋषि कपूर हमेशा से ही अपने दमदार किरदार, परफॉर्मेंस, मजबूत एक्टिंग और मुद्दों पर राय रखने को लेकर जाने जाते थे. ऋषि कपूर ने बड़े पर्दे पर रोमांटिक हीरो से लेकर माफिया डॉन तक का किरदार निभाया. सिर्फ इतना ही नहीं, फिल्म 'कपूर एंड सन्स' में इन्होंने 90 साल के बूढ़े आदमी का रोल किया. कोई भी किरदार हो, ऋषि कपूर खुद को उसमें ढाल ही लेते थे. ऋषि कपूर अपने जमाने के सुपरस्टार्स में शुमार होते थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऋषि कपूर की पहली फिल्म 'बॉबी' नहीं, बल्कि पिता राज कपूर की श्री 420 थी?
फीस नहीं चॉकलेट के लिए किया था पहला रोल
ऋषि कपूर ने खुद एक बार खुलासा किया था कि कैसे नरगिस ने उन्हें इस रोल को करने के लिए मनाया था. असल में ऋषि कपूर श्री 420 के गाने प्यार हुआ इकरार हुआ में नजर आए थे. इस गाने में राज और नरगिस के पीछे बारिश में चलने वाले तीन बच्चों में से एक ऋषि कपूर थे. उस समय ऋषि की उम्र 3 साल थी और नरगिस ने उन्हें चॉकलेट का लालच देकर इस गाने में लिया था. ऋषि ने इस बारे में बात करते हुए बताया था, "मुझे बोला गया था कि 'श्री 420' में मुझे एक शॉट देना है और मेरे बड़े भाई और बहन भी इस शॉट में होंगे. जब भी शॉट हो तब हमें बारिश में चलना था. ऐसे में शॉट के दौरान जब भी पानी मुझपर गिरता तो मैं रोने लगता. इसकी वजह से वह शूटिंग नहीं कर पा रहे थे. तो नरगिस ने मुझे कहा कि अगर तुम शॉट के दौरान अपनी आंखें खुली रखोगे और रोओगे नहीं तो मैं तुम्हें चॉकलेट दूंगी. इसके बाद मैंने सिर्फ चॉकलेट के लिए अपनी आंखें खुली रखीं और वह मेरा पहला शॉट था."
इसके बाद ऋषि कपूर को फिल्म मेरा नाम जोकर में राज कपूर के किरदार के यंग वर्जन को निभाते देखा गया था. उन्होंने बताया कि कैसे 1970 में आई फिल्म मेरा नाम जोकर में पिता राज कपूर ने उन्हें लेने की बात उनकी मां कृष्णा कपूर से की थी. उन्होंने बताया था, 'हम घर में खाना खा रहे थे और मेरे पिता ने मां को बोला, "कृष्णा, मैं चाहता हूं कि चिंटू मेरा नाम जोकर में मेरे यंग वर्जन को प्ले करे. और मैं बहुत उत्साहित हो गया था कि मेरे फिल्मों में काम करने के बारे में बात हो रही है. मैंने उनके सामने कुछ नहीं कहा. मैंने अपना खाना खत्म किया और अपने कमरे में गया. मम्मी तब पापा से कह रही थीं कि फिल्म की वजह से मेरी पढ़ाई पर असर पढ़ेगा. वह अलग बात है कि उस फिल्म से मेरी जिंदगी पर कुछ असर नहीं हुआ, लेकिन जब वे इस बात पर विचार कर रहे थे, मैं अपने कमरे में आया और अपनी स्टडी टेबल की दराज खोली. उसमें एक फुल शीट थी. मैंने उसपर अपने ऑटोग्राफ की प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया."
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पिता को कर्ज में डूबने से बचाया
एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर राजकपूर की क्लासिक फिल्म 'मेरा नाम जोकर' साल 1970 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म से कपूर खानदान को बहुत उम्मीदें थीं. यह राज कपूर का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह फिल्म ऑडियन्स पर अपना जादू नहीं चला सकी. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिटी थी. इस फिल्म को बनने में छह साल लगे थे. राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने इस फिल्म से डेब्यू किया था. उन्होंने राज कपूर के यंग वर्जन का किरदार निभाया था. इसके बाद ऋषि कपूर फिल्म 'बॉबी' में नजर आए. ऋषि कपूर की कास्टिंग से पहले इस फिल्म में राजेश खन्ना को कास्ट किया जाना था, लेकिन 'मेरा नाम जोकर' के नहीं चलने से राज कपूर का बहुत नुकसान हुआ. नौबत यहां तक आ गई थी सारे गहने गिरवी रखने पड़ गए थे. वह चाहकर भी किसी बड़े हीरो को फिल्म 'बॉबी' में नहीं ले पा रहे थे. ऐसे में ऋषि कपूर अपने पिता का सहारा बने थे और उन्हें कर्ज में डूबने से उन्होंने बचाया था. राज कपूर ने 'बॉबी' फिल्म से ऋषि कपूर को बतौर हीरो लॉन्च किया. फिल्म 'बॉबी' के बारे में बात करते हुए ऋषि कपूर ने बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू में बताया था कि राज कपूर ने फिल्म 'बॉबी' मुझे लॉन्च करने के मकसद से नहीं बनाई थी. उन्होंने यह फिल्म इसलिए बनाई थी, ताकि वह बड़े बजट में बनी अपनी फ्लॉप फिल्म मेरा नाम जोकर का कर्ज उतार सकें. इसके लिए राज साहब को एक सुपरहिट फिल्म की दरकार थी.
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रिजेक्ट किया था 'अग्निपथ' के रऊफ लाला का रोल
ऋषि कपूर की फिल्में जितनी बढ़िया और दिलचस्प हुआ करती थीं उतनी ही पर्दे के पीछे की उनकी कहानी हुआ करती थी. उन्होंने अपने करियर में कई शानदार फिल्में दीं, लेकिन बॉलीवुड में उनकी दूसरी इनिंग फिल्म 'अग्निपथ' से शुरू हुई. इस फिल्म के जरिए ऋषि कपूर ने दिखा दिया था कि वे एक चॉकलेट बॉय और रोमांटिक हीरो से ज्यादा हैं. जहां ऋषि कपूर ने सिनेमा में अपनी कलाकारी से फैन्स का दिल जीता वहीं ऐसे भी मौके आए जहां उन्हें खुद पर शक हुआ. इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी था जब ऋषि कपूर को लगा था कि जनता उन्हें देखना ही नहीं चाहती. एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में बात की थी. ऋषि कपूर ने बताया था कि कैसे वह ऋतिक रोशन स्टारर फिल्म 'अग्निपथ' में काम करने के लिए तैयार नहीं थे.
डायरेक्टर ने ऋषि कपूर को इस रोल को करने के लिए पूरे एक महीने तक मनाया था. ऋषि कपूर ने कहा था कि मैंने उन्हें कहा मेरी वजह से फिल्म फ्लॉप हो जाएगी. क्या मैं तुम्हें एक विलेन और खूंखार आदमी जैसा लगता हूं? मैं सालों से रोमांटिक हीरो रहा हूं तुम कैसे मुझसे ये फिल्म करने की उम्मीद कर रहे हो? लेकिन वो दोनों नहीं माने. मैं किसी सपनों की दुनिया में नहीं रहता जहां मैं सोचूं कि मैं किसी भी फिल्म को चला लूंगा. अगर मैं किसी फिल्म में मेन किरदार निभा रहा हूं और वो नहीं चली तो इसमें मेरी बेइज्जती वाली बात है. 'अग्निपथ' (2012) में ऋषि कपूर ने रऊफ लाला का किरदार निभाया था. इस विलेन के किरदार में न सिर्फ ऋषि कपूर ने कमाल किया, बल्कि क्रिटिक्स और दर्शकों की खूब तारीफें भी बटोरीं.
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