2 घंटे पहले
दुनियाभर में अपने सरोद वादन के लिए मशहूर उस्ताद अमजद अली खान ने हाल ही में मुंबई में हुए एक इवेंट में ऐसा बयान दिया है, जिसकी वजह से वे अब सुर्खियों में हैं।
दरअसल, इस इवेंट के बाद एक इंटरव्यू में अमजद अली खान ने कहा कि आज के दौर में 'खान' होना गुनाह है। इसलिए उन्होंने अपने बेटों का सरनेम ही बदल दिया।
मन करता है कि अपना नाम बदलकर सरोद रख लूं
इवेंट के बाद नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में अमजद खान ने कई मुद्दों पर बात की। पिछले दिनों अमजद खान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके मुस्लिम नाम के कारण ब्रिटेन का वीजा नहीं दिया गया था। इसके बाद निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि उनका मन करता है कि वह अपना नाम बदलकर सरोद ही रख लें।
इस मुद्दे पर बात करते हुए अमजद अली खान ने कहा, '21वीं सदी में ऐसा लगता था कि सब कुछ शांत होगा। लगता था कि पढ़ाई-लिखाई से लोग समझदार होंगे, लेकिन स्कूल एक बिजनेस इंडस्ट्री बन चुके हैं। शायद इसीलिए शिक्षा हमें रहमदिल नहीं बना पाई। आज भी लोगों के साथ धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव होता है। दुनिया में लोग रहमदिल होने के बजाय अब और भी ज्यादा बेरहम हो चुके हैं।'
मुंबई में हुए सरोद कॉन्सर्ट 'मॉर्निंग रागा' से अमजद अली खान की तस्वीर।
'खान' होना गुनाह, इसलिए बेटों का सरनेम बदला
दुनियाभर में मुस्लिमों के साथ होने वाले भेदभाव पर अमजद खान ने कहा कि अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 9/11 के हमले के बाद मुस्लिमों के प्रति लोगों का नजरिया बदल गया है। उन्होंने कहा, '9/11 के बाद विदेश में मिस्टर खान के तौर पर जाने पर लोग चेकिंग करते थे। आज के दौर में 'खान' होना गुनाह है। इसलिए जब हमारे बेटे अमान और अयान का जन्म हुआ था, तब मेरी पत्नी ने दोनों के नाम के आगे खान सरनेम हटा कर हमारे पूर्वजों का सरनेम बंगश लगा दिया था। अब पूरी दुनिया से कोई भी खान अमेरिका या कहीं और जाए तो उनको ज्यादा चेक किया जाता है। हालांकि हमारे साथ ज्यादा ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन हम वहां के लोगों की मानसिक शांति के लिए सूटबूट पहनते हैं।'
दुनिया में लोगों को रहम दिल बनाना है
भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ती दूरी पर अमजद खान ने कहा, 'हम अलग-अलग पार्टियों और उनकी विचारधारा से जुड़े हुए हैं। शायद हमारे एजुकेशन सिस्टम में कोई कमी रह गई है, जो हमें सुधारनी है। अगर यह सिस्टम सही होता तो कोई भी एक पीएचडी किया हुआ आदमी सांप्रदायिक कैसे हो जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो। इसलिए हमें लोगों को रहम दिल बनाना है। जैसे पाकिस्तान की बात करें तो पहले हम एक देश थे, लेकिन बंटवारा हो गया। अब हम पड़ोसी हैं। दो पड़ोसी एक-दूसरे की मदद न करें तो एक-दूसरे को बर्बाद करने की कोशिश तो न करें। म्यूजिक का कोई धर्म नहीं होता और यही हमें जोड़ सकता है।'
अमजद खान के इवेंट में पहुंचे मशहूर कवि और फिल्ममेकर गुलजार।
हर जगह केवल धर्म के आधार पर ही राजनीति की जा रही
भारत के साथ ही दुनियाभर में धर्म के आधार पर बढ़ती असहिष्णुता पर अमजद खान ने कहा, 'हर जगह केवल धर्म के आधार पर ही राजनीति की जा रही है। यह केवल भारत की बात नहीं है। मेरे पिता ने कहा कि सारी दुनिया का एक ही रब है। इंसानियत एक ही मजहब है। मैं हर धर्म से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। मेरी ऑडियंस हर धर्म की है। इसलिए मैं तो पूरी दुनिया की शांति के लिए दुआ करता हूं। मैं बहुत उदास हूं जो रूस और यूक्रेन में लड़ाई हो रही है। इसके कारण बहुत महंगाई बढ़ गई है। और सरकार किसी की भी हो, लेकिन अगर एक बार रेट ऊपर चले गए तो वे कभी नीचे नहीं आते हैं।'
अमजद खान ने किया था 'मॉर्निंग रागा' का आयोजन
बता दें कि अमजद अली खान ने मुंबई में मशहूर रॉयल ओपेरा हाउस में एक खास सरोद कॉन्सर्ट 'मॉर्निंग रागा' का आयोजन किया था। अमजद के इस इवेंट में उनके फैंस समेत मशहूर कवि और फिल्ममेकर गुलजार भी वहां मौजूद थे। गुलजार ने अमजद के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है, जिसे काफी पसंद किया गया था।
'खान' सरनेम बना मुसीबत: उस्ताद अमजद अली खान बोले-आज के दौर में 'खान' होना गुनाह, इसलिए बेटों का सरनेम बंगश ... - Dainik Bhaskar
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