- Hindi News
- Entertainment
- Bollywood
- After The Murder Of The Parents, She Became A Servant In The House Of Relatives, Came To Mumbai, Earned A Name As A Singer And Then Became The First Female Comedian
5 घंटे पहलेलेखक: प्रियंका जोशी
भारतीय सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन टुनटुन की आज 99वीं बर्थ एनिवर्सरी है। टुनटुन के करियर की शुरुआत सिंगर के तौर पर हुई थी। बाद में वो बेहतरीन कॉमेडियन बनीं लेकिन टुनटुन का यहां तक पहुंचने तक का सफर बेहद दर्दनाक था। महज ढाई साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को खो चुकी टुनटुन ने 4 साल की उम्र में अपने भाई को भी खो दिया था। टुनटुन 4 साल की थीं इसलिए उनकी परवरिश के लिए उन्हें रिश्तेदारों के पास छोड़ा गया, तो पूरे घर का काम करने की बदौलत उन्हें 2 वक्त की रोटी मिलती थी। मुंबई आकर टुनटुन ने नौशाद को गाना गाने का मौका न देने पर समुद्र में कूदने की धमकी दी तब उन्हें पहला ब्रेक मिला। फिर जब बेहद मोटी हो गईं तो हिंदी सिनेमा की पहली कॉमेडियन बन गईं।
ढाई साल की उम्र में हुई माता-पिता की हत्या
टुनटुन का जन्म 11 जुलाई 1923 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम उमा देवी खत्री रखा था। एक दिन जब टुनटुन महज ढाई साल की थीं तब उनकी जमीन पर कब्जा करने के लिए उनके माता-पिता की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद वो अपने 9 साल के भाई हरी के साथ रहा करती थीं। हरी ही उनका पालन-पोषण किया करता था।
भाई की हत्या के बाद रिश्तेदारों के घर बनी नौकर
जब टुनटुन महज 4 साल की थी तब उसी जमीन के लिए उनके भाई की भी हत्या कर दी गई। जिसके बाद टुनटुन अनाथ हो गईं। ऐसे में उन्हें पालन पोषण के लिए रिश्तेदारों के घर छोड़ दिया गया। रिश्तेदारों ने उन्हें रखा तो पर दो वक्त के खाने के लिए उन्हें पूरे घर का काम करना होता। टुनटुन के साथ नौकर की तरह व्यवहार किया जाता था। इसी स्थिति में उनकी परवरिश हुई। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता।
पार्टिशन के कारण अलग हुआ दोस्त
इस दौरान टुनटुन की मुलाकात एक्साइज ड्यूटी ऑफिसर अख्तर अब्बास काजी से हुई। अख्तर अब्बास ने टुनटुन के सिंगिंग के हुनर को पहचान लिया था। वो उन्हें सिंगर बनने की सलाह देते थे। टुनटुन 14 साल की उम्र से ही अच्छी सिंगिग किया करती थीं लेकिन उनकी ये दोस्ती ज्यादा दिन नहीं रह पाई और पार्टिशन के बाद अख्तर अब्बास काजी पाकिस्तान में शिफ्ट हो गए।
मुंबई आकर नौशाद को दी धमकी
टुनटुन अपनी गरीबी की जिंदगी और रिश्तेदारों के लगातार बिगड़ते व्यवहार से थक चुकी थीं। ऐसे में उन्होंने फिल्मों में सिंगिग करने का फैसला कर लिया था। लिहाजा वो सब छोड़कर मुंबई भाग आईं। यहां उनका कोई ठिकाना नहीं था। बस संगीतकार नौशाद को वो बहुत अच्छेसे जानती थीं। इसलिए उनके घर पर गईं और जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगीं। नौशाद किसी महिला को इस तरह देखकर डर गए। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला टुनटुन यानी उमा देवी ने उनसे उन्हें गाने का मौका देने की जिद पकड़ ली। नौशाद तब भी नहीं माने तो टुनटुन ने उन्हें धमकी दी कि यदि वो उन्हें गाने का मौका नहीं देते हैं तो वो समुद्र में कूद जाएंगी और आत्महत्या कर लेंगी क्योंकि इसके अलावा उनके पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। टुनटुन की इस बात से नौशाद परेशान हो गए और उन्हें गाकर सुनाने के लिए कहा। फिर जब टुनटुन ने गाकर सुनाया तो नौशाद उनसे काफी प्रभावित हुए और उन्हें गाने का पहला ब्रेक दे दिया। दरअसल टुनटुन ने सिंगिंग करना कहीं से नहीं सीखा था पर फिर भी उन्हें गाने की समझ थी इस बात से नौशाद काफी खुश हुए। उनका पहला गाना "अफसाना लिख रही हूं दिले बेकरार का" था।
पहला गाना हुआ सुपरहिट
टुनटुन का पहला गाना इतना हिट हुआ कि उसके बाद उन्हें लगातार सिंगिंग के ऑफर आने लगे। उनके गाने के दीवानगी काफी देखी गई। टुनटुन ने फिल्मों में 40 ससो 45 गाने गाए। बाद में आशा भोसले, लता मंगेशकर और नूरजहां जैसे गायिकाओं का दौर आने से टुनटुन को गाने मिलना बंद हो गए।
गाना सुन पाकिस्तान छोड़ मुंबई आया दोस्त
टुनटुन के गीतों की फैन फॉलोइंग अच्छी खासी हो गई थी। एक दिन पाकिस्तान में बैठे उनके दोस्त अख्तर अब्बास काजी ने उनका गाना रेडियो पर सुना। इससे वो काफी खुश हुए और टुनटुन की याद में मुंबई चले आए। फिर कुछ समय बाद दोनों शादी के बंधन में बंध गए। दोनों के 4 बच्चे हुए।
चुलबुले अंदाज और वजन ज्यादा होने से नौशाद ने एक्टिंग करने के लिए कहा
टुनटुन बेहद चुलबुली हुआ करती थीं। उनकी कॉमिक टाइमिंग बेहद लाजवाब थी साथ ही वो मोटी भी इतनी हो गई थीं कि लोग उन्हें देखकर हंस दिया करते थे। एक दिन नौशाद जब उनसे मिलने गए तो गाने न मिलने से वो तंगहाली से गुजर रही थीं तब नौशाद को उनमें दूसरा ही टैलेंट दिखा और उसी समय नौशाद ने उन्हें एक्टिंग करने की सलाह दे दी।
दिलीप कुमार पर था क्रश और उन्हीं के साथ की पहली फिल्म
टुनटुन को दिलीप कुमार को बेहद पसंद करती थीं और उनकी इच्छा थी कि पहली बार वो उन्ही के साथ एक्टिंग करें। हुआ भी कुछ ऐसा ही। दिलीप कुमार नौशाद के बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे। इसलिए नौशाद ने दिलीप से टुनटुन से एक्टिंग करवाने की इच्छा जताई। इस वक्त दिलीप की फिल्म बाबुल की शूटिंग की तैयारी चल रही थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार और नरगिस लीड रोल में थे और टुनटुन को साइड रोल मिल गया।
पहली फिल्म से बदला नाम
टुनटुन की पहचान पहले उमा देवी के रुप में ही थी। 1950 में आई उनकी पहली फिल्म बाबुल में उनके कैरेक्टर का नाम टुनटुन था। इस फिल्म में उनका कैरेक्टर इतना हिट रहा कि उनका नाम उमा से बदलकर टुनटुन ही पड़ गया। इस फिल्म के बाद कॉमिक रोल के लिए ज्यादातर फिल्मों में टुनटुन को लिया जाने लगा। उनकी कॉमिक टाइमिंग और बढ़ा वजन लोगों को हंसने पर मजबूर कर देता था।
5 दशक तक 198 फिल्मों में किया काम
टुनटुन 5 दशक तक सिनेमा का हिस्सा रहीं हैं। उन्होंने 198 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने हिंदी, उर्दू, पंजाबी जैसी कई लैंग्वेज में काम किया। वो इतनी बेहतरीन एक्ट्रेस थीं कि उस जमाने के कॉमेडी लीजेंड भगवान दादा, सुंदर, जॉनी वॉकर, केष्टो मुखर्जी के साथ उनको पेयर किया जाता था। उनका नाम और कैरेक्टर इतना पॉपुलर हो गया था कि हर मोटी लड़की को टुनटुन कहकर बुलाया जाने लगा था। 1990 में आई फिल्म धंधे की कसम उनकी आखिरी फिल्म थी।
लंबी बीमारी के बाद 80 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
टुनटुन काफी समय से बीमार चल रही थीं। उनके पति की मौत 1992 में ही हो चुकी थी। ऐसे में 80 साल की उम्र में 23 नवंबर 2003 को टुनटुन ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके आखिरी वक्त में उनके 4 बच्चे और पोते-पोतियां उनके साथ थे।
मौत के दो दिन पहले बताई दर्दनाक दास्तान
टुनटुन को सब हंसता खेलता पाते थे तो सभी को लगता था कि उनकी जिंदगी हमेशा अच्छी ही रही होगी, लेकिन उन्होंने मौत के दो दिन पहले मुंबई आने से पहले की अपनी जिंदगी के राज से पर्दा खोला था। फिल्म क्रिटीक और हिस्टोरियन शिशिर कृष्ण शर्मा ने उनका इंटरव्यू लिया तब उन्होंने अपने माता-पिता और भाई की हत्या का खुलासा किया था। इस इंटरव्यू के दो दिन बाद ही टुनटुन की मौत हो गई थी।
टुनटुन की बर्थ एनिवर्सरी: रिश्तेदारों के घर नौकर बनकर रहीं, मुंबई आईं तो सिंगर बनकर नाम कमाया और फिर बनी पह... - Dainik Bhaskar
Read More
No comments:
Post a Comment