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Wednesday, March 8, 2023

जिन्दगी भी कितनी अजीब होती है कभी हंसाती तो कभी रुलाती है - अमर उजाला

                
                                                                                 
                            जिन्दगी भी कितनी अजीब होती है
                                                                                                
                                                     
                            
कभी हंसाती तो कभी रुलाती है
किसी की सांसे कब थम जाएं
कब किसी का अपना छिन जाए, लेकिन
यह जिन्दगी चलती और चलती जाती है
जिन्दगी भी कितनी अजीब होती है।
कहने को यह शरीर नश्वर होता है
आत्मा भी अमर होती है
कहने को तो सभी यहां अपने होते हैं
नहीं जाता है कोई साथ यहां किसी के
धन-दौलत यहीं पड़ी रह जाती है
जिन्दगी भी कितनी अजीब होती है।
यहां कोई अपनों को खो देता है
कोई किसी के सपनों को तोड़ देता है
रोज ना जाने कितने सपने अधूरे रह जाते हैं
किसी के सपने टूट जाते हैं
साथ नहीं रहता यहां कोई उम्रभर किसी के
लेकिन, यह जिन्दगी चलती और चलती जाती है
जिन्दगी भी कितनी अजीब होती है
-नीरज गौतम
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।

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