Rechercher dans ce blog

Thursday, March 2, 2023

विलेन से की शादी, वो असल में खलनायक निकला: अमीरबाई ने तलाक के बदले पति को दी कार, उसी से अपहरण किया, कमरे म... - Dainik Bhaskar

5 घंटे पहलेलेखक: नितिन उपाध्याय

महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन था "वैष्णव जन तो तेने कहिए"। ये गुजराती भजन था और इसे गाया था एक कन्नड़ गायिका अमीरबाई कर्नाटकी ने। महात्मा गांधी अमीरबाई के इस भजन के मुरीद थे और इसी भजन के लिए वो अमीरबाई के भी फैन थे। अमीरबाई कन्नड़, हिंदी और मराठी गानों की गायिका भी थीं और फिल्मों की नायिका भी। हिंदी सिनेमा की शुरुआती गायिकाओं में इनका नाम शुमार है।

अगर आज पूरे देश के सिनेमा की एक्ट्रेसेस अपने नाम और रुतबे पर फख्र कर सकती हैं तो वो सिर्फ अमीरबाई और उनकी कुछ साथियों की वजह से। जिस जमाने में लड़कियों का सिनेमा में काम करना इतना बुरा माना जाता था कि परिवार उन लड़कियों से रिश्ते तोड़ लेता था। हत्या तक कर देता था। उन लड़कियों को तवायफों में गिना जाता था, तब एक्टिंग और सिंगिंग में सम्मान पाने के लिए अमीरबाई ने ही इसके लिए पूरे समाज से लड़ाई लड़ी थी।

अमीरबाई कर्नाटक के बीजापुर में जन्मीं थीं। जन्म तारीख का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि उनका जन्म 1912 में हुआ था। इसी साल पहली भारतीय फिल्म राजा हरिश्चंद्र भी बनी थी। माता-पिता अमीना बी और हुसैन साब दोनों गायिकी और थिएटर से जुड़े थे, इसलिए अमीरबाई और उनकी चार बहनों को संगीत विरासत में ही मिला था।

1931 में अमीरबाई बीजापुर से मुंबई आ गईं। यहां देखते ही देखते वो टॉप की एक्ट्रेस और गायिका बनीं। उन्हें भारत की पहली सिंगिंग स्टार भी कहा जाने लगा। ग्रामोफोन कम्पनी भी उन्हें 1935 के जमाने में एक रिकॉर्डिंग के लिए 1000 रुपए देती थी। अमीरबाई को सॉन्ग ऑफ लव भी कहा जाता था क्योंकि उन्होंने उस जमाने में कई रोमांटिक गाने गाए थे। हालांकि खुद उनकी जिंदगी प्यार से महरूम रही।

उन्होंने उस जमाने के टॉप विलेन हिमालयवाला (अफजल कुरैशी) से शादी की थी। जो उन्हें बेइंतहा पीटता था। उनके पैसों को अपने कब्जे में रखता था। यहां तक कि उसने तलाक देने के लिए भी पैसे लिए। अमीरबाई को स्टूडियो से रिकॉर्डिंग के दौरान किडनैप किया और कमरे में बंद कर खूब मारा।

आज उनकी 58वीं डेथ एनिवर्सरी पर पढ़िए हिंदी और कन्नड़ सिनेमा की नायिका और गायिका अमीरबाई की जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलू...

अमीरबाई को ना तो कोई बड़ा सम्मान मिला और ना ही कोई बड़ा अवॉर्ड। उन्हें कन्नड़ कोकिला की उपाधि जरूर मिली थी, लेकिन वो सम्मान कभी नहीं मिल पाया जिसकी वो वास्तव में हकदार थीं।

अमीरबाई को ना तो कोई बड़ा सम्मान मिला और ना ही कोई बड़ा अवॉर्ड। उन्हें कन्नड़ कोकिला की उपाधि जरूर मिली थी, लेकिन वो सम्मान कभी नहीं मिल पाया जिसकी वो वास्तव में हकदार थीं।

बीजापुर में पड़ा संगीत का बीज, मुंबई से गुजरात तक फला
अमीरबाई को कम उम्र से ही संगीत की तालीम मिलना शुरू हो गई थी। माता-पिता की देखरेख में वो अपनी बहनों के साथ संगीत के सुरों को साध रही थीं। उन दिनों कर्नाटक का बीजापुर थिएटर आर्टिस्ट्स का गढ़ हुआ करता था। मशहूर मराठी थिएटर आर्टिस्ट बाल गंधर्व भी अपनी नाटक मंडली के साथ बीजापुर आया करते थे। बाल गंधर्व की नजर अमीरबाई और उनकी बड़ी बहन गौहरबाई पर पड़ी। उनकी गायिकी का अंदाज उन्हें पसंद आया तो थिएटर में काम मिलने लगा।

बाल गंधर्व के थिएटर के अलावा भी अमीरबाई कुछ और मंचों पर गाने लगीं। सुर पक्के होते गए और उनका रुतबा बढ़ता गया। उन दिनों सिनेमा बढ़ रहा था। मगर तब सिर्फ मूक फिल्में ही बनती थीं। जिसमें ना गाने का स्कोप होता था और ना ही ज्यादा एक्टिंग का क्योंकि तब तक सिनेमा में औरतों का आना बुरा माना जाता था।

पहली बोलती फिल्म आलम-आरा आई और अमीरबाई मुंबई पहुंची
1931 में पहली बोलती फिल्म आलमआरा रिलीज हुई। इसके साथ ही अमीरबाई भी अपनी थिएटर की दुनिया बीजापुर में छोड़ मुंबई आ गईं। हालांकि उनके मुंबई आने का सही समय तो किसी को पता नहीं है, लेकिन बायोग्राफी में लिखा है कि आलमआरा के साथ ही अमीरबाई भी मुंबई आई थीं।

1934 में पहली फिल्म मिली, इसमें एक्टिंग भी की और गाने भी गाए
1934 में आई फिल्म विष्णु भक्ति से अमीरबाई को पहला ब्रेक मिला। इस फिल्म में उनको काम अपनी बड़ी बहन गौहरबाई के कारण मिला था, जो खुद फिल्मों में आ चुकी थीं। हालांकि इस फिल्म से उन्हें कोई पहचान नहीं मिली, ना ही उनके काम को कोई सराहना मिल पाई। 1936 में आई फिल्म जमाना के गाने “इस पाप की दुनिया से कहीं और ले चल” से उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला। इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली और इसके बाद उन्होंने कई यादगार गाने गाए।

किस्मत ने बदली किस्मत, बनीं स्टार सिंगर
1945 में आई फिल्म किस्मत भारतीय सिनेमा की पहली ब्लॉकबस्टर मानी गई। इस फिल्म ने कई स्टार दिए। अशोक कुमार इनमें से एक थे। पहली बार एंटी हीरो का कॉन्सेप्ट हिंदी फिल्म में आया। एक ऐसा हीरो जो विलेन जैसा हो। अशोक कुमार इस फिल्म से सुपरस्टार हो गए।

इस फिल्म का ही गाना “दूर हटो ऐ दुनियावालों हिन्दुस्तान हमारा है” ब्रिटिश हुकूमत को इतना खटका था कि इसे बैन करने में अंग्रेजों ने पूरी ताकत लगा दी थी। ये फिल्म इतनी हिट रही कि इसने भारतीय सिनेमा का नक्शा ही बदल दिया। 1945 में इसने बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ रुपए की कमाई की थी, जो आज की तारीख में 2100 करोड़ से भी ज्यादा है।

इससे पहले उन्होंने 1942 में आई फिल्म बसंत में भी आवाज दी थी। उनका गाना “हुआ क्या कसूर, हुए जो हमसे दूर” उस दौर के सबसे हिट गानों में शामिल था। इसी फिल्म से एक बाल कलाकार का भी डेब्यू हुआ था, जिसका नाम था बेबी मुमताज। इसी बेबी मुमताज को कुछ सालों बाद वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा-मधुबाला के नाम से जाना गया।

1945 की फिल्म किस्मत में 8 गाने थे, जिनमें से 6 अमीरबाई ने गाए थे।

1945 की फिल्म किस्मत में 8 गाने थे, जिनमें से 6 अमीरबाई ने गाए थे।

एक्ट्रेसेस और गायिकाओं के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी
ये वो दौर था जब फिल्मों में काम करना अच्छे घर की लड़कियों के लिए मना था। जो भी महिलाएं इस काम में आती उनकी तुलना वेश्याओं से की जाती थीं। अमीरबाई और उस दौर की कुछ गायिकाओं और अभिनेत्रियों ने समाज में अपने सम्मान के लिए काफी संघर्ष किया। समाज के तानों और परिवारवालों के विरोध का सामना करते हुए अपनी कला के दम पर पहचान बनाई।

उनकी बायोग्रॉफी लिखने वाले रहमत तारिकी ने लिखा है- अमीरबाई और उस समय फिल्मी दुनिया में आई लड़कियों की ये लड़ाई किसी आजादी की लड़ाई से कम नहीं थी। हालांकि इस लड़ाई को कभी इतना महत्व नहीं दिया गया, लेकिन ये इन्हीं महिलाओं की हिम्मत थी, जो अब फिल्म एक्ट्रेस बनने पर लड़कियों को शर्म नहीं, गर्व का अनुभव होता है।

विलेन से शादी, वो रियल लाइफ में भी विलेन ही निकला
अमीरबाई ने 1940 के दशक के मशहूर विलेन हिमालयवाला (अफजल कुरैशी) से शादी की। हिमालयवाला उन दिनों कई फिल्मों में खलनायक थे और उन्हें बड़ा आर्टिस्ट माना जाता था। ये शादी अमीरबाई के लिए काफी मुश्किलों भरी रही क्योंकि हिमालयवाला का व्यवहार उनके लिए ठीक नहीं था। दिन-रात झगड़े और मार-पीट का शिकार होती रहीं। हिमालयवाला उनके सारे पैसे अपने ऐशो-आराम के लिए इस्तेमाल करते। विरोध करने पर अमीरबाई के साथ मार-पीट करते थे।

तलाक के लिए किया सौदा, खूब सारा पैसा और एक कार
पति हिमालयवाला से परेशान अमीरबाई उनसे किसी भी तरह से अलग होना चाहती थीं। पति के कारण उनके सिंगिंग करियर पर भी मुश्किलें खड़ी हो गईं। एक्टिंग करियर वैसे भी कुछ खास नहीं चल रहा था और उस दौर में लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी गायिकाएं आ चुकी थीं। वैसे भी उन्हें कम ही काम मिलता था। ऐसे में अमीरबाई पति से अलग होकर अपने करियर पर फोकस करना चाहती थीं। उन्होंने पति से अलग होने के लिए उसे एक ऑफर दिया कि खूब सारा पैसा ले लो और एक कार भी, लेकिन मुझको छोड़ दो। पति भी मान गया।

पति के खराब व्यवहार की वजह से अमीरबाई कई दिनों तक डिप्रेशन में रहीं।

पति के खराब व्यवहार की वजह से अमीरबाई कई दिनों तक डिप्रेशन में रहीं।

तलाक के लिए जो कार दी, उसी से पति ने किडनैप किया
अमीरबाई ने पति को काफी सारा पैसा और एक कार दे दी। तय हुआ अब वो उनकी जिंदगी में दखलअंदाजी नहीं करेगा। पति हिमालयवाला भी राजी हो गया। पति से अलग होकर अगले दिन अमीरबाई एक स्टूडियो में रिकॉर्डिंग के लिए पहुंचीं। दिल में तसल्ली थी कि अब अपने पहले प्यार गायिकी को समय दे पाएंगीं। मगर कुछ देर बाद पति उसी कार से स्टूडियो पहुंच गया जो अमीरबाई ने दी थी।

उसने सबके सामने अमीरबाई का अपहरण किया। स्टूडियो वाले देखते रह गए। कार में बैठाकर उन्हें अपने घर ले गया और कमरे में बंद कर दिया। अमीरबाई के वकील चेलशंकर व्यास ने बयान दिया था कि उस दिन हिमालयवाला ने उन्हें कमरे में बंद कर खूब मारा था।

केस फाइल किया और लिया तलाक
इस पूरे मामले के बाद अमीरबाई ने अपने वकील चेलशंकर व्यास की मदद से कोर्ट में केस फाइल किया। उन्होंने पति पर कई गंभीर आरोप लगाए। हिंसा और बदसलूकी के लंबे दौर के बाद आखिरकार उन्हें पति से तलाक मिल गया। पति से अलग तो हो गईं, लेकिन इस रिश्ते का सदमा उन्हें लंबे समय तक रहा। वो कुछ साल तक काफी डिप्रेशन में रहीं। फिर उन्होंने एडिटर बद्री कांचवाला से दूसरी शादी की। ये शादी उनके लिए सुकून भरी रही। उनका पहला पति हिमालयवाला भी विभाजन के बाद पाकिस्तान में जा बसा और पाकिस्तानी फिल्मों का काफी बड़ा एक्टर बना।

लता मंगेशकर के स्टार बनने से सिंगिंग करियर खत्म हुआ
1947 के बाद से फिल्मी दुनिया में गायिकी के लिए सिर्फ लता मंगेशकर का नाम शीर्ष पर था। उनकी बहन आशा भोसले भी काफी सराही जा रही थीं और दोनों की गायिकी से कई दूसरी फीमेल सिंगर्स का करियर हाशिए पर आ गया। अमीरबाई भी उनमें से एक थीं।

गायिकी में करियर ग्राफ गिरता देख अमीरबाई ने एक्टिंग पर फोकस करना शुरू किया। इसमें भी उन्हें लीड रोल नहीं मिलते थे। ज्यादातर सपोर्टिंग आर्टिस्ट जैसे मां, बहन, भाभी जैसे कैरेक्टर्स ही उनके हिस्से में आते थे। गायिकी के लिए अब ज्यादा स्कोप नहीं बचा था। उन्होंने परिवार और एक्टिंग पर ही फोकस करना शुरू कर दिया।

150 फिल्मों में गाए 380 गाने
अमीरबाई ने अपने करियर में कुल 150 फिल्में कीं। इन फिल्मों में उन्होंने कुल 380 गाने गाए। इसके अलावा उन्होंने कई भजन भी गाए। जिनमें गुजराती भजन “वैष्णवजन तो तेने कहिए” सबसे मशहूर भजन था। महात्मा गांधी ने भी इसे खूब सराहा। इस भजन के लिए उन्होंने अमीरबाई की खूब तारीफ भी की और अपनी प्रार्थना सभाओं में इसे गाने लगे। हालांकि अमीरबाई ने जिस लय में ये भजन गाया था और महात्मा गांधी जिस लय में गाते थे, दोनों में काफी अंतर था।

अपने शहर बीजापुर में बनाया अमीर टॉकीज
अमीरबाई ने अपने शीर्ष के दिनों में एक सिनेमाघर भी बनवाया था। कर्नाटक के बीजापुर में अमीर टॉकीज उन्हीं का बनवाया हुआ है। फिल्मों और गायिकी से उन्हें इतना लगाव था कि वो इसके अलावा कुछ और सोचती भी नहीं थीं। बीजापुर में आज भी उनका परिवार इस अमीर टॉकीज को चला रहा है।

उन्होंने पूरे कर्नाटक में शहर-शहर जाकर शोज किए। सिंगिंग प्रोग्राम और थिएटर भी किया। उनका सपना था कि लोग उनकी इस कला को वो सम्मान दें जिसकी वो हकदार हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।

उन्होंने हिंदी के अलावा कन्नड़, मराठी और गुजराती फिल्में भी की थीं।

उन्होंने हिंदी के अलावा कन्नड़, मराठी और गुजराती फिल्में भी की थीं।

पैरालिसिस अटैक और गुमनामी में मौत
27 फरवरी 1965 को अमीरबाई को पैरालिसिस का अटैक आया। गायिकी और अभिनय की दुनिया में इतना काम करने वाली महिला की इस हालत का बाहरी दुनिया को कुछ पता नहीं चला।

4 दिन इस बीमारी से लड़ने के बाद 3 मार्च 1965 को 55 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। उस समय भी उनके काम को वो पहचान नहीं मिली थी कि मीडिया उनकी मौत को हाथोंहाथ लेता। मौत के 4 दिन बाद अखबारों में एक छोटी सी खबर आई कि अमीरबाई कर्नाटकी का निधन हो गया है। अपनी गायिकी और अदाकारी से भारतीय सिनेमा में महिलाओं को सम्मान दिलाने वाली कलाकार की मौत के बाद लोगों को उनके होने का सही अर्थ समझ में आया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

खबरें और भी हैं...

Adblock test (Why?)


विलेन से की शादी, वो असल में खलनायक निकला: अमीरबाई ने तलाक के बदले पति को दी कार, उसी से अपहरण किया, कमरे म... - Dainik Bhaskar
Read More

No comments:

Post a Comment

OTT Release: एनिमल-कर्मा कॉलिंग... भौकाल मचा रही ये फिल्में-वेब सीरीज, वीकेंड का मजा होगा दोगुना - Aaj Tak

इस वीकेंड की लिस्ट के साथ हम तैयार हैं. अग लॉन्ग वीकेंड का मजा दोगुना करना चाहते हैं तो आप अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स और सोनी लिव के अलावा जी...