ख्वाबों को आंखों में टूटते देखा है हमने
ख्वाबों को आंखों में टूटते देखा है हमने
रेगिस्तान में भी सुनामियों को आते देखा है हमने
समुन्दर ही जानता है कि उसने
क्या- क्या समाया है अन्दर अपने
उसके इस दर्द की गहराईयों में उतर कर देखा है हमने
खुद के दु:ख में डूबे आसमां को रोते देखा है हमने
रेत भी चाहती है मिट्टी की तरह जीना
इसलिए उसे एक-एक बारिश की बूंद के लिए
तरसते देखा है हमने...
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9 hours ago
देखा है हमने - अमर उजाला
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