एक ही कहानी स्पाई-थ्रिलर भी लगे, फैमिली ड्रामा भी, लव स्टोरी भी और बदले की कहानी भी... और ये सारे एलिमेंट एक दूसरे को परफेक्टली पूरा भी करें, बड़े पर्दे पर ऐसा बहुत कम हो पाता है. लेकिन मणिरत्नम ने ये अद्भुत कारनामा कर दिखाया है. 'पोन्नियिन सेल्वन 2' पूरी तरह एक ऐसा सीक्वल है, जो पहली फिल्म डिजर्व करती थी.
ये पहले पार्ट से बेहतर है या नहीं, इस नजर से देखना गलत होगा क्योंकि कहानी एक ही है जिसे दो हिस्सों में कहा गया है. लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि 'पोन्नियिन सेल्वन 1' में मणिरत्नम ने जिस चोल साम्राज्य और कहानी के किरदारों को अपनी सिनेमेटिक ब्रिलियंस के साथ पर्दे पर उतारा था, दूसरे पार्ट में उनके पास शाइन करने का सबसे बेहतरीन मोमेंट है. 'पोन्नियिन सेल्वन 2' की कहानी में ऐसे पेंचीदा मोड़ और सस्पेंस है जिनकी उम्मीद भी देखने वाले को नहीं होगी. जैसे ही आपको लगेगा कि कहानी की जड़ में बैठे सबसे बड़े सस्पेंस को आपने खोल लिया है, आपको समझ आता है कि ये गांठ उम्मीद से कहीं ज्यादा पेंचीदा है.
'पोन्नियिन सेल्वन 2' का प्लॉट
पहले पार्ट में मणिरत्नम अधिकतर किरदारों को सेटअप कर चुके थे. आदित्य करिकालन (विक्रम), अरुलमोलीवर्मन यानी पोन्नियिन सेल्वन (जयम रवि), और राजकुमारी कुंदवई (त्रिशा) अपने पिता सुन्दर चोल के साम्राज्य को बचाने में जुटे थे. इनका चाचा, जो कायदे से चोल साम्राज्य का असल उत्तराधिकारी है, सिंहासन पाने के लिए षड्यंत्र में लगा है. सुन्दर चोल के साम्राज्य में, रियासतदार पर्वतेश्वर की पत्नी नंदिनी (ऐश्वर्या राय बच्चन) भी चोल वंश को सिंहासन से उतार फेंकना चाहती है.
नंदिनी के बदले की वजह, आदित्य से उसका पुराना, नाकाम अफेयर भी है. जबकि एक बेहतरीन गुप्तचर वल्लवैरायन वान्दियथेवन (कार्थी), आदित्य करिकालन का करीबी है और लगातार चोल साम्राज्य के खिलाफ चल रहे षड्यंत्रों का पता लगता रहता है. वान्दियथेवन, कुंदवई को प्रेम भी करता है. अंदरूनी खतरों के अलावा, चोल साम्राज्य को पांड्या वंश के बचे खुचे लड़ाकों, पल्लव और राष्ट्रकूट साम्राज्य से भी खतरा है.
'पोन्नियिन सेल्वन 1' की कहानी एक जहाज के समंदर में डूबने पर हुई थी, जिसमें अरुलमौली और वान्दियथेवन सवार थे. क्या दोनों बच पाएंगे? सारे षड्यंत्रों के बीच एक गूंगी रानी भी कहानी में थी जिसका चेहरा, एकदम नंदिनी के चेहरे जैसा था. आखिर इस रानी का क्या रहस्य है? नंदिनी का आदित्य से बदला पूरा हो पाएगा? और क्या अपने ही खून और बाहरी आक्रमणों का सामना एकसाथ कर रहे सुन्दर चोल का साम्राज्य बिखर जाएगा? इन्हीं सवालों के जवाब देती है 'पोन्नियिन सेल्वन 2'.
कैसा है फिल्म का हाल-समाचार?
दूसरा पार्ट की शुरुआत चोल साम्राज्य में फैली उदासी के साथ होती है, क्योंकि सभी अरुलमौली की मौत से शोक में हैं. उसका बड़ा भाई आदित्य एक योद्धा है, और योद्धा आंसू नहीं बहाते, रक्त बहाते हैं. उसे नंदिनी के षड्यंत्रों की भनक है और अब वो ये सब खत्म करना चाहता है. नंदिनी ने सिम्पथी दिखाते हुए आदित्य को अपने यहां बुलाया है. 'पोन्नियिन सेल्वन 2' के ट्रेलर में ये दिखा दिया गया है कि पीछे से आदित्य की जान लेने का षड्यंत्र भी चल रहा है.
कागज पर ये एक परफेक्ट रिवेंज ड्रामा साउंड करता है लेकिन इस तरह के बदले की कहानियां आप पहले भी देख चुके होंगे. लेकिन इंडियन सिनेमा के मास्टर्स में से एक, मणिरत्नम आपको दिखाते हैं कि अलग-अलग धागों को जोड़कर एक परफेक्ट ड्रामा कैसे बुना जाता है और बड़े पर्दे के लिए सिनेमा किस तरह बनाया जाना चाहिए. चोल साम्राज्य के बारे में ये बात सही को पता है कि ये भारतीय इतिहास के सबसे गौरवशाली साम्राज्यों में से एक रहा है. मगर मणिरत्नम 'पोन्नियिन सेल्वन' की पूरी कहानी में इस साम्राज्य को ग्रैंड बनाने की कोशिश नहीं करते. उन्होंने परफेक्ट लोकेशंस, सेट्स, कॉस्टयूम और म्यूजिक से एक ग्रैंड कैनवास तैयार कर छोड़ा है और फिल्म का फोकस पूरा ड्रामा है.
पहले पार्ट से ही हिंदी बोलने वाले दर्शकों से 'पोन्नियिन सेल्वन' थोड़ा धैर्य मांगती है. इस कहानी को बेहतर तभी एन्जॉय किया जा सकता है अगर किरदारों से आपका परिचय अच्छा हो. चोल साम्राज्य को जिन बाहरी दुश्मनों से खतरा है, उनकी इक्वेशन पर ध्यान देना जरूरी है. ये दोनों शर्तें पूरी करने पर ही 'पोन्नियिन सेल्वन 2' की स्टोरीटेलिंग में आपको एक लय नजर आएगी. वरना कहानी की पेस थोड़ी स्लो लग सकती है. 'पोन्नियिन सेल्वन 2' में अरुलमौली और वानथी (शोभिता धुलिपाला) के रोमांस को एकदम न के बराबर स्क्रीन टाइम मिला है.
सबसे शानदार मोमेंट्स
वान्दियथेवन और नम्बी की चपलता, उनके लिए रिस्क और एक सेकंड से भी कम समय में एटीट्यूड बदल लेना उन्हें परफेक्ट जासूस बनाता है. ये दोनों जब-जब स्क्रीन पर आते हैं, देखने में मजा आता है. दूसरी तरफ फिल्म के पूरे सेटअप में दो विपरीत ध्रुवों पर बैठे आदित्य और नंदिनी का सामना, एक अद्भुत सीक्वेंस है. आदित्य अगर एक धधकता दावानल है तो नंदिनी समुद्र है, जो सतह पर भले शांत दिखे मगर उसमें हमेशा तूफानी लहरें जन्म ले रही हैं. नंदिनी के रोल में ऐश्वर्या का काम, बिना शक उनकी सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस में गिना जाएगा.
वान्दियथेवन और कुंदवई का एक सीक्वेंस तो उस रोमांस का डिक्शनरी है, जो स्क्रीन्स से गायब सा होता जा रहा है. सुन्दर चोल के रोल में प्रकाश राज का एक सीन उनकी एक्टिंग का ट्रेडमार्क है. विजुअली तो फिल्म एक अद्भुत संसार में ले ही जाती है जो आंखों पर बहुत ईजी लगता है. VFX पर बहुत डिपेंड हो रही इस फिल्म में विजुअल्स का इतना कम्फर्टेबल होना भी इसे एक बेहतरीन एक्सपीरियंस बनाता है.
टेक्निकल ब्रिलियंस
मणि रत्नम और सिनेमेटोग्राफर रवि वर्मन की जोड़ी का कमाल तो पहले पार्ट में फ्रेम्स में नजर आ रहा था. लेकिन 'पोन्नियिन 2' में टेंशन और सस्पेंस भरे मोमेंट्स ज्यादा हैं. यहां फ्रेम्स के अंदर फ्रेम्स पूरा फील बनाए रखते हैं और फ्रेम में नजर आ रही एक एक चीज कहानी को एक अद्भुत फील देती है. एक सीन में कैमरा आदित्य करिकालन के चेहरे पर है और उसके माथे का तिलक फ्रेम के सेंटर में लगता है. कैमरा ज़ूम आउट होता है और उसके पिता सुन्दर चोल के माथे के तिलक पर ज़ूम इन हो जाता है. ये कहानी में एक इमोशनल मोमेंट है और इस कलाकारी का असर आपको फिल्म देखते हुए पता चलेगा.
शानदार विजुअल्स के साथ चल रही स्टोरीटेलिंग को ए आर रहमान का म्यूजिक एक अलग लेवल पर लिफ्ट कर देता है. मौनी रानी का रहस्य खुलते हुए, महल में चोरी से घुसे हमलावरों के पूरे सीक्वेंस में, वान्दियथेवन-कुंदवई के रोमांस में और आदित्य-नंदिनी के फेसऑफ में ये म्यूजिक मैजिकल लगता है. इस साउंडस्केप का असली स्वाद तब आता है जब एक्स्ट्रा इमोशनल अटेंशन चाहने वाले सीन्स में हर तरह का साउंड गायब हो जाता है और धीमे से किसी एक साज पर कोई धुन उठती है.
एक्टिंग परफॉरमेंस
'पोन्नियिन सेल्वन 2' में भी सभी एक्टर्स का काम उसी लेवल का है जैसा पहले पार्ट में था. विक्रम, कार्थी, जयम रवि, प्रकाश राज सभी ने अपने किरदारों को एकदम परफेक्शन के साथ जिया है. दमदार लिखे रोल में ऐश्वर्या राय बच्चन को आप जैसे रीडिस्कवर करते हैं. नंदिनी और मौनी रानी, दोनों के किरदार में ऐश्वर्या को बेहतरीन सीन्स मिले हैं. और इन सीन्स को उन्होंने पूरी संजीदगी से एक करियर बेस्ट परफॉरमेंस में बदला है. नम्बी के रोल में जयम रवि को देखना बहुत मजेदार है. उनके किरदार से तो दर्शकों को प्यार हो जाएगा. हिंदी वर्जन में उनकी आवाज मनोज जोशी की डब की हुई लगती है और किरदार को बहुत सूट करती है. मणिरत्नम की ब्रिलियंस और टेक्निकल क्रू की स्ट्रेंग्थ को एक्टर्स ने पूरी तरह सीन्स में कॉम्प्लीमेंट किया है.
कुल-जमा-हासिल
'पोन्नियिन सेल्वन 2' पहले पार्ट की ही तरह एक विजुअल डिलाइट है ही. लेकिन दूसरे पार्ट में कहानी के पेंच सुलझते हैं, षड्यंत्र सामने आते हैं और ड्रामा अपने इफेक्ट पर पहुंचता है. इसलिए ये बिल्कुल हो सकता है कि ये पहले पार्ट से बेहतर लगे. ऑरिजिनल तमिल वर्जन में फिल्म देख रही जनता को थिएटर्स में कैसा जादू महसूस हो रहा होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं है. क्योंकि तमिल दर्शकों का कहानी से कनेक्शन ज्यादा नेचुरल है.
हालांकि, पहले पार्ट से फिल्म को पढ़ रहे दर्शक के तौर पर, हिंदी में भी 'डिसकनेक्ट' नहीं फील होता. हिंदी में डायलॉग लिखने वाले दिव्या प्रकाश दुबे को इसका क्रेडिट मिलना चाहिए. ऑरिजिनल से हिंदी में डब हो रही, इतिहास पर बेस्ड पीरियड ड्रामा फिल्म को उन्होंने 'राजाओं के असत्य को राजनीति कहते हैं' जैसी लाइन दी है. हालांकि, अगर आप कहानी से कनेक्ट नहीं हैं, या पहले पार्ट में कहानी से रिलेट नहीं कर पाए थे, तो 'पोन्नियिन सेल्वन 2' भी आपके लिए बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगी. फिर भी कोशिश की जा सकती है.
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