कविता – पैमाने जिंदगी के
सब कुछ भूल कर,
भूल गए जिंदगी को ।
न जाने कितने जाम,
पी चुके जिंदगी के ।।
नशा चढ़ा था काया, माया का
जिसमें झूमते रहे ता उम्र।
आया तब होश ज़िन्दगी में, जब ,
खाली हो गए ,पैमाने जिंदगी के।।
लड़ते रहे ता उम्र, गर्दिशों से,
जीते भी गर्दिशों से तब ।
जब खाली हो गए मयखाने ,
जो भरे थे कभी शराब से ।।
चाह कर रहें हैं,
फिर से भर जाए पैमाने ।
फिर क्यों डर रहे हैं,
आगे खड़ी गर्दिशों से ।।
बेवफा होते हैं हसीन पल,
जो छूट गए गर्दिशों में ।
वफादार होती हैं गर्दिशें,
जो भूलतीं नहीं राहें यार की ।।
सब कुछ भूल कर,
भूल गए जिंदगी को ।
न जाने कितने जाम,
पी चुके जिंदगी के ।।
छोड़ देता है हर कोई दामन,
सफर हो अंतिम, जब ज़िन्दगी का।
कहते है परछाईं भी गयी छूट,
जब साथ छोड़ा ज़िन्दगी का।।
नन्ना कवि-
राहुल भारद्वाज
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
2 hours ago
पैमाने जिंदगी के - अमर उजाला
Read More
No comments:
Post a Comment