कुछ वक़्त बदल रहा था,
कुछ हवाएं बदल रही थी,
मै चुप खड़ा था अब भी उसके इंतजार मे,
पर अब वो अदायें बदल रही थी ।
उनकी ख़ामोशी बढ़ रही थी,
उनके अल्फाज लडखड़ा रहे थे,
शायद नही रहा किस्मत मे मिलना मुनासिफ
क्यों अब वो अपने बदल रहे थे।
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4 घंटे पहले
मेरे अल्फाज - अमर उजाला
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