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Friday, July 7, 2023

तमहर-हमर - अमर उजल

                
                                                                                 
                            तुम्हारे-हमारे एहसासात की है ।
                                                                                                
                                                     
                            
ज़िंदगी-मौत के सवालात की है ।।
कहानी के अंदर नया कुछ नहीं है ।
ये बात बस दिल-ए-जज़्बात की है।।
वाकिफ़ है इससे तू भी ए जानाँ ।
हक़ीक़त जो मेरे ख़्यालात की है ।।
न पूछो ये हमसे कि क्या बात की है ।
तसव्वुर में अक्सर मुलाक़ात की है ।।
तुम्हारे-हमारे एहसासात की है ।
ज़िंदगी-मौत के सवालात की है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।

1 day ago

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तुम्हारे-हमारे - अमर उजाला
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