ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे भारत ने अपनी कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए संघर्ष किया.
विवेक अग्निहोत्री की ये फिल्म प्रभास की 'सलार' से क्लैश करने वाली थी.
Vivek Agnihotri की फिल्म The Kashmir Files ने बॉक्स ऑफिस पर भयंकर कमाई की थी. अक्षय कुमार की ‘बच्चन पांडे’ और प्रभास की ‘राधे श्याम’ को इसके साथ रिलीज़ होने का खामियाज़ा भुगतना पड़ा था. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक फिल्म ने 252.90 करोड़ रुपए का विशालकाय कलेक्शन किया. इस फिल्म की कामयाबी ने विवेक अग्निहोत्री को मेनस्ट्रीम कर दिया. उसके बाद सबकी नज़र थी कि वो आगे क्या करने वाले हैं. अब ‘द ताशकंद फाइल्स’ के डायरेक्टर अपनी अगली फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ के साथ तैयार हैं. 28 सितंबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. अभी ट्रेलर आया है. कैसा है ट्रेलर, उस बारे में बात करते हैं.
हर कोई पॉलिटिकल है. आपका जो दोस्त कहता है कि मुझे पॉलिटिक्स में रुचि नहीं, वो भी पॉलिटिकल है. पॉलिटिकल होने में कोई बुराई नहीं. बस मसला है कि आप अपनी पॉलिटिक्स को अपनाइए. उसे कोई और नाम देने की कोशिश मत दीजिए. विवेक अग्निहोत्री पर आरोप लगता है कि वो एक पक्ष को लुभाने की कोशिश करते हैं. जबकि वो कहते हैं कि मैं न्यूट्रल हूं. ‘द वैक्सीन वॉर’ भी एक पक्ष लेकर चलती है. कहानी कोरोनाकाल के समय की है. भारत कोरोना महामारी से त्रस्त है. ऐसे में कुछ इंडियन साइंटिस्ट वैक्सीन बनाने की कोशिश करते हैं. दिखाया गया कि कुछ विदेशी ताकतें उनके लिए मुसीबत खड़ी करने की कोशिश करती हैं. उनके भारतीय प्रवक्ता नैशनल टेलिविज़न पर जाकर घोषणा करते हैं – India can’t do it. यानी इंडिया खुद से कोरोना की वैक्सीन नहीं बना सकता.
आगे ये लोग कैसे को-वैक्सीन बनाते हैं और उससे लोगों की जान बचती है, यही कहानी है. नाना पाटेकर, पल्लवी जोशी, गिरिजा ओक और सप्तमी गौड़ा वैक्सीन बनाने वाली टीम का हिस्सा हैं. नाना का कैरेक्टर इस टीम को लीड कर रहा है. दूसरी ओर हैं राइमा सेन. दिखाया गया कि उनका कैरेक्टर भारत के खिलाफ है. ट्रेलर देखने के बाद विवेक अग्निहोत्री से हमारे कुछ सवाल हैं. आपकी कोई भी पॉलिटिक्स हो, उससे कोई समस्या नहीं. अच्छी बात है. लेकिन पॉलिटिकल फिल्म अगर सटल नहीं होती, तो उसका मैसेज वल्गर हो जाता है. जैसे प्रिंटआउट से एक कागज़ बाहर आता है, उस पर लिखा है – Foreign Vaccines Toolkit. अगर आप सटल नहीं तो मैसेज थोपा हुआ लगता है, फिर चाहे वो किसी भी तरफ से आ रहा हो.
एक जगह सवाल उठता है कि वायरस प्राकृतिक ढंग से म्यूटेट कर रहा है, या फिर लैब में बनाया गया है. फिल्म का इस पर क्या स्टैंड है, वो ट्रेलर में साफ नहीं होता. शायद उसे फिल्म के लिए बचाकर रखा गया हो. बाकी बीच-बीच में कुछ जगह मास्टरपीस और इमोशनल जैसी बातें लिखी आती हैं. कोट किया गया कि ये ऑडियंस रिएक्शन है. हालांकि ये नहीं बताया गया कि ऑडियंस में किन लोगों ने ये फिल्म देखी और उन्होंने क्या कहा. एक तरह से किसी और की बात को अपने से बताई गई लगती है. मसला सिर्फ फिल्म की मैसेजिंग से नहीं. ट्रेलर का नैरेटिव भी अटपटा लगता है. किसी जगह इमोशनल मोमेंट आता है और फिर अगले ही पल मूड बदल जाता है. एक तार में पिरोया हुआ फ्लो नहीं दिखता. ट्रेलर से तमाम शिकायतों के बीच दो चीज़ें पसंद भी आईं. वो हैं उसके दो डायलॉग. एक जगह झुंझलाहट में एक शख्स कहता है कि वैक्सीन के अलावा भी हमारी लाइफ है. तब एक औरत जवाब देती है,
वैक्सीन नहीं है ना, तो लाइफ ही नहीं है.
दूसरा डायलॉग है,
पता है हमारी लैब में इतनी सारी औरतें क्यों हैं? वी आर ब्रेव. वी कैन डू इट.
ट्रेलर से लग रहा है कि ‘द वैक्सीन वॉर’ को लेकर भी हंगामा होगा. बाकी बता दें कि फिल्म 28 सितंबर 2023 को थिएटर्स में रिलीज़ हो रही है.
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द वैक्सीन वॉर ट्रेलर: विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म पर किस वजह से हंगामा होने वाला है? - The Lallantop
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