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Friday, July 2, 2021

फिल्म रिव्यू: मकसद और मुद्दे के दरम्‍यान उलझी हुई है दिल्‍ली की हसीन दिलरुबा की कहानी - Dainik Bhaskar

4 घंटे पहलेलेखक: अमित कर्ण

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  • अवधि- 132 मिनट
  • रेटिंग्स - तीन स्‍टार

जजमेंटल है क्‍या’ और ‘मनमर्जियां’ फेम कनिका ढिल्‍लन की कहानियां परतदार होती हैं। जिनमें फीमेल लीड होती हैं। टैबू सवाल होते हैं उनमें। ‘हसीन दिलरुबा’ का आगाज भी उसी नोट पर होता है। रानी, ऋषभ, नील, पुलिसिया जांच के बीच और बेहतर स्‍क्रीनप्‍ले की दरकार थी, जो फिल्‍म को मोटिव और मुद्दा परक बना सकती थी। यहां यह मकसद और मुद्दे के बीच उलझ कर रह गई है।

ऐसी है दिलरुबा की हसीन कहानी
मेन लीड रानी कश्‍यप (तापसी पन्‍नू) हसीन है। दिल्‍ली से है। दिनेश पंडित के उपन्‍यासों से अभिभूत है। ख्‍वाहिशें समंदर से गहरी हैं। सर्वगुणसंपन्‍न हमसफर की तलाश है। संयोग से पति ऋषभ (विक्रांत मैस्‍सी) के तौर पर वह अधूरी रह जाती हैं। बीच में एक्‍स्‍ट्रामैरिटल अफेयर होता है। आरोप नील (हर्षवर्धन राणे) पर लगते हैं।

फिर एक धमाके में एक की जान चली जाती है। पूरा ज्‍वालापुर रानी को कसूरवार ठहराने लगता है। उस पर चरित्रहीन का ठप्‍पा चस्‍पा कर दिया है। पुलिस इंस्‍पेक्‍टर रावत (आदित्‍य श्रीवास्‍तव) भी इस पूर्वाग्रह के साथ ही आरोपी रानी से जवाब तलब करता है। फाइनली क्‍या होता है, फिल्‍म उस बारे में है।

कहां रह गई कमी
विनिल मैथ्‍यू के निर्देशन में कनिका ढिल्‍लन का आगाज इंप्रेसिव है। उनकी कहानी शादीशुदा जिंदगी के एक अहम सवाल को छूती है। किरदारों की अग्निपरीक्षा विकट हालातों में लेती है। उन सब में अपने किए गए काम के प्रति कोई अपराध बोध नहीं है। यह सब फिल्‍म को रॉ और रियल बनाती है। दिक्‍कत तब शुरू होती है, जब इसमें एक क्रेजी ट्व‍िस्‍ट लाने की कोशिश होती है। वह सब फिल्‍म के एंड को प्रेडिक्‍टेबल बना देता है। रहस्‍य, रोमांच की अनुभूति कम हो जाती है।

कलाकारों ने संभाला मोर्चा

  • कलाकारों ने अपनी सधी हुई अदाकारी से मजबूती दी है। तापसी, विक्रांत मैस्‍सी, हर्षवर्धन राणे, आदित्‍य श्रीवास्‍तव, दयाशंकर पांडे, आशीष वर्मा ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्‍याय किया है। विक्रांत की मां बनी कलाकार फिल्‍म की खोज हैं। हालांकि ज्‍वालापुर जैसे शहरों की टिपिकल मां, बुआ आदि इससे पहले हाल की फिल्‍मों में भी कई बार देखी गई हैं।
  • पूरी फिल्‍म तापसी पन्‍नू के कंधों पर है। रानी कश्‍यप की अल्‍हड़ सोच से शुरू होकर उसमें आई मैच्‍योरिटी को उन्‍होंने पूरी ठसक के साथ दिखाया है। उन्‍हें बड़ी खूबसूरती से पेश भी किया गया है। रानी की मादकता को उन्‍होंने कॉम्‍प‍लि‍मेंट किया है। विक्रांत मैस्‍सी को भी मेकर्स ने खुलकर खेलने का मैदान प्रदान दिया है। उसे उन्‍होंने जिया है।
  • हर्षवर्धन के रूप में नेगेटिव रोल वाले समर्थ कलाकार की तलाश पूरी हो सकती है। आदित्‍य श्रीवास्तव ने सीआईडी वाले अपने सिग्‍नेचर रोल को यहां रखा है। बीच बीच में वो किरदार के ह्यूमर से फिल्‍म को गतिशील बनाए रखते हैं। लोकेशन के तौर पर ज्‍वालापुर, हरिद्वार की खूबसूरती को बखूबी कैप्‍चर किया गया है। म्यूजिक सिचुएशन के अनुरूप हैं।
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